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Saturday, June 19, 2021

लयकारी

 

विविध लयों का विवरण

तबले का अभ्यास करते समय विविध लयप्रकारों का ज्ञान आवश्यक होता है। वैसे देखा जाएँ तो संगीत सीखने वालों, सिखानेवालों तथा संगीतकारों के लिए लय के सारे प्रकारों का ज्ञान होना अत्यावश्यक गुण है। यहाँ पर इसी विषय पर थोड़ा प्रकाश डालने का प्रयत्न प्रस्तुत है।

लयकारी को योग्य गुरु के समक्ष बैठ कर सीखना, समझना तथा उसे आत्मसात करना चाहिए। परंपरागत तरीके से सीखने के बाद उसे मुखोद्गत करना, लिपिबद्ध करना तथा ताली दे कर दोहराना रोज़ाना अभ्यास का विषय है। हिंदुस्तानी संगीत के अभ्यासकों को यह बात बड़ी कठीण लगती है। यह गुण कर्नाटक संगीत सीखनेवालों के पास अवश्य हुआ करता है। ताली, खाली, हरेक मात्राओं की गिनती उनके गाते समय प्रत्यक्ष रूप से हस्तचालन से दिखती है। हिंदुस्तानी पद्धति में विशेष करके ताल, लय और लयकारी की ओर अधिक ध्यान न देनेवाले गायनाभ्यासी अक्सर देखने को मिलते हैं। सम टल जाने के बाद भी उस बात को अधिक महत्व ना देनेवाले गायक/गायिकाएँ हो तो सम का महत्व नष्ट होने में समय नहीं लगेगा। अस्तु।

अब प्रस्तुत विषय की ओर बढ़ते हैं। लयकारी का सूक्ष्म विवरण। 

लयकारी क्या है?

१)    दो मात्राओं के काल में अगर एक मात्रा को गिना जाएँ तो ऐसी तीन मात्राओं में डेढ़ मात्राएँ मिल जाएगी। दो को डेढ़ से गुना जाएँ तो तीन संख्या आ जाती है। इसीलिए इस लय को डेढ़ी अथवा आड़ी कहा जाता है। यह तिस्र जाति है।

२)    एक मात्रा की अवधि में दो मात्रा गिनी जाएँ तो दो मात्राओं में चार की संख्या आ जाएगी। इसीलिए इसे दुगुन लय कहते हैं। यह चतुस्र जाति है।

३)    एक मात्रा की अवधि में चार को रखा जाएँ तो यह लय चौगुन कहलाती है। यह भी चतुस्र जाति है।

४)    एक मात्रा की अवधि में पाच को गिना जाएँ तो उसे सवाई अथवा कुआड़ लय कहा जाता है। यह खंड जाति होती है।

५)    एक मात्रा में छह की गिनती की जाएँ तो वह आड़ी की दुगुन होकर महा आड़ी कहलाती है। यह भी तिस्र जाति है।

६)    एक मात्रा के भीतर सात को गिना जाने पर पौने दो गुनी लय हो जाती है। इसे बिआड़ कहा जाता है। यह मिश्र जाति होती है।

७)    एक मात्रा में आठ को गिनने पर यह लय अष्टगुन कहलाती है। यह भी चतुस्र जाति होती है।

८)    एक मात्रा की अवधि में अगर नौ की गिनती की जाएँ तो वह नवम गुन हो जाती है। यह जाति  संकीर्ण कहलाती है।   

 

 

 

 सरगम के साथ लयकारी

 

कालस्तर

चतुस्र जाति

सा

रे

सा

रे

दुगुन लय

चतुस्र जाति

सारे

 सारे

सारे

सारे

डेढ़ी /आड़

तिस्र जाति

सारेग

सारेग

सारेग

सारेग

चौगुन

चतुस्र जाति

सारेगम

सारेगम

सारेगम

सारेगम

सवाई /कुआड़

पांचगुन

सारेगमप

सारेगमप

सारेगमप

सारेगमप

महाआड़ी/छहगुन 

तिस्र जाति

सारेगमपध

सारेगमपध

सारेगमपध

सारेगमपध

बिआड़/सप्तगुन

मिश्र जाति 

सारेगमपधनी

सारेगमपधनी

सारेगमपधनी

सारेगमपधनी

अष्टगुन

चतुस्र जाति 

सारेगमपधनिसां

सारेगमपधनिसां

सारेगमपधनिसां

सारेगमपधनिसां

नवमगुन

संकीर्ण जाति 

सारेगमपधनिसांरें 

सारेगमपधनिसांरें

सारेगमपधनिसांरें

सारेगमपधनिसांरें

 

 

 तबले के अक्षरों के साथ लयकारी

धा

ति

धा

गे

ति

ना

के

धा ति 

धा ति

धागे 

धागे

धिना 

तिना

गेन

केन

धा ति 

ताति

धागे

धागे

धि ना धिना

गे न

गेन

धातिधा  

तातिधा

गेधिन 

गेधिन

गेनधा 

गेनधा

तिधागे 

 तिधागे

धिनागे 

धिनगे

नाधति नाधति

धागेधि धागेधि

नागेना नागेना

धातिधागे

धातिधागे

धिनागेना

धिनागेना

धतिधागे

धतिधागे

धिनागेना

धिनागेना

तातिताके

तातिताके

तिनाकेना

तिनाकेना

धतिधागे

धतिधागे

धिनागेना धिनागेना       

धतिधागेधि

तातिताकेती 

नागेनधती

नकेनताति

धागेधीनगे

धागेधिनगे

नाधतिधागे

नाधतिधागे

धीनागेनता

धीनागेनधा

तिधागेधिना

तिधागेधीन

गेनधतिधा

गेनधतिधा

गेधीनगेना

गेधीनगेना

 

धतिधागेधिन

धतिधागेधिन

 

गेनतातिधागे

गेनतातिधागे

धिनागेनधति

धिनागेनधति

धागेतिनाकेन

धागेतिनाकेन

तातिताकेतिन

तातिताकेतिन

केनतातितके

केनतातितके

धिनागेनधती

धिनागेनधती

धागेधीनगेना

धागेधीनगेना

धतिधागेधिनगे

तातिताकेतिनके 

नाधतिधागेधिना

नतातिताकेतिन

गेनतातितकेति

केनतातिताकेति

नाकेनधतिधागे

नकेनतातिताके

धीनागेनधतिधा

धीनागेनधतिधा

 

गेधीनगेनधति

गेधीनगेनधति

धागेधीनगेनधा

धागेधीनगेनधा

तिधागेतिनाकेना

तिधागेतिनाकेना

धतिधागेधिनागेना

चार बार .......

धतिधागेधीनगेना

तातिताकेतिनाकेना

धतिधागेधिनागेना

धतिधागेधिनागेना

धतिधागेधिनागेना

तातिताकेतिनाकेना

धतिधागेधिनागेना

धतिधागेधिनागेनता

तातिताकेतिनकेनता

तिधागेधिनागेनधाति

तितकेतिनकेनताति

धागेधिनागेनतातिधा

ताकेतिनाकेनततातिता

गेनधिनागेनधतिधागे

केतिनाकेनतातिताके

धिनागेनतातिधागेधि

धिनागेनधतिधागेधि

नागेनधतिधागेधिन

नागेनधतिधागेधिन

गेनततिधागेधिनगे

गेनधतीधागेधिनगे  

नाधतिधागेतिनकेन

नधतिधागेधिनागेन

 

महान तबलावाद्क तथा गुरु स्व. अरविंद मुलगांवकर जी ने अपने 'तबला' इस पुस्तक में मनोरम शब्दों की सहायता से कठिन विषय को सुगम बनाया है।

दो अक्षर - कल

तीन अक्षर - कमल

चार अक्षर – कमलक

पाँच अक्षर – करकमल

छह अक्षर – कमलनयन

सात अक्षर – चरणकमलक

आठ अक्षर  - कनकमयकमल

नौ अक्षर – कनककमलनयन

अब इसमे विशेष यह है कि पहला अक्षर “क” पर ताली का प्रयोग हो, तो एक  ही लय में चलनेवाले इस अभ्यास का सही उपयोग हो सकता है।(अर्थात 'सात अक्षर' में प्रथम अक्षर 'च' आया है। उसपर ताली का प्रयोग होना है।)    

 

संदर्भ – “तबला” 

लेखक स्व. पंडित अरविंद जी मुलगांवकर